दर्द असहनीय
दर्द असहनीय
तड़प उठी है अब रूह भी,
व्यथित हो रहा मन है
किसी का लाल भूखा है,
किसी की मां प्यासी है
पांव के ये छाले,
अपना दर्द सुनाते हैं
हद हो गई है अब,
हम अपने गांव जाते हैं
सड़क पर जो बिखरा है,
वह अरमान है दिल का
किसी की चूड़ी टूटी है,
कोई आंचल सिसकता है
पत्थर बन तमाशा देखे,
बहती बस अश्रुधारा है
अब तुम ही बता "वंदे",
क्या यह प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ?