धरा
धरा
एक अदृश्य बंधन में कैद है
धरा की हर श्वास निसदिन
मन मे भय व्याप्त है क्यों
आशंकित अब हर चेहरा है
अपने भय को कर पराजित
कर्मवीर युद्ध करे हर पलछिन
इस धरा पर संकट भारी
मिटा अंतर अब सरहदों का
पूरा विश्व अब एक हो
लड़े इस अदृश्य शत्रु से
स्वतंत्र फिर हर श्वास होगी
बढ़ता जाए विश्वास प्रतिदिन।
