दहेज वाली बहु
दहेज वाली बहु
ऐसे घर ना ब्याहो बाबा जो दहेज के लोभी है,
प्यार मुझे ना कर पाएंगे जो पैसों के भोगी है,
आज बाइक कल कार मांगेंगे
कितनी शर्तें पूरी कर पाओगे,
घर, जमीन सब गिरवी रख कर क्या मुझको खुशी दे पाओगे,
वो ना समझेंगे बाबा वो तो सिर्फ ठोंगी है,
मुझको तुम काबिल बना दो,
पढ़ना लिखना सिखला दो,
सारे फर्ज पूरी करूंगी मुझको तुम अफसर बना दो,
दर्द नहीं समझेंगे मेरा वो तो सिर्फ मतलबी है,
कैसे समझूँगी मैं अपना उनको जिनको मुझसे प्यार नहीं,
दहेज वाली बहु बनना अब मुझको स्वीकार नहीं,
जो अपनों के गम से मिली हो ऐसी खुशी स्वीकार नहीं,
ऐसी शादी, शादी नहीं है ये तो बर्बादी है,
दुनिया का मत सोचो बाबा! वे तो ये सब के आदि है,
शादी उसी से करूंगी जिनको दहेज लेना स्वीकार नहीं,
मैं तेरी बुलबुल हूँ बाबा जीवन का भार नहीं,
जो रिश्ता पैसों के बल पर हो उसका कोई आधार नहीं,
समय बदला है युग बदला है पर नारी की व्यथा यही
दहेज के नाम पर कोख में ही मारी गई
अब ना कोई जुर्म सहेगी हर बेटी अब यही कहेगी
दहेज लोभी के हाथों में जाना अब मुझको स्वीकार नहीं
ऐसे घर ना ब्याहो बाबा जो दहेज के लोभी है .....