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Kumar Vikash

Drama

5.0  

Kumar Vikash

Drama

देश के रक्षक

देश के रक्षक

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हम कौन होते हैं

अपनी मातृभूमि की

रक्षा करने वाले


हम तो बस साधारण से

कमजोर इन्सान है !


हे माता,

तुमने हमको शरण लिया

समझा अपनी सेवा के लायक


तब ये गौरव पूर्ण सम्मान

तुमने हमको दिया !


अपनी मिट्टी से

हमको फ़ौलाद बनाया

धरा के जल से

लहू को हमारे तेज़ाब बनाया


सुला लूँगी गोद में अपने

यह कह कर

मन से हमारे मौत के

खौफ़ को दूर भगाया !


तब जाके हम तेरे

कुछ काम आयें

वरना हम तो बस

साधारण से कमजोर इन्सान थे


अपनी सेवा का

ये गौरव पूर्ण सम्मान

एक तुम्ही हो,

जिसने हमें दिलाया !


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