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Yudhveer Tandon

Tragedy

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Yudhveer Tandon

Tragedy

डर लगता है साहब!

डर लगता है साहब!

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मिटाने को हवस अपनी

कहीं कोई दरिंदा ना नोच ले

साथ चल रहे भाई बहन को

कहीं कोई कुछ और न सोच ले

और सह कर गमों को

कहीं कोई अपने आँसू न पोंछ ले


डर लगता है साहब !

रिश्वत के बिना

कहीं कोई मेरी फाईल न रोक दे

पहना गले में फूलों का हार

कहीं कोई गला न घोट दे

खिलने से पहले ही कली की

कहीं कोई दबा न कोख दे


डर लगता है साहब !

कर वादा साथ निभाने का

कहीं कोई हाथ मझधार न छोड़ दे

दिखा सपने जन्नत के

कहीं कोई उम्मीद न तोड़ दे

खुशियों के दिखा के ख्वाब

कहीं कोई नाता गमों से न जोड़ दे


डर लगता है साहब !



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