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Yudhveer Tandon

Tragedy

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Yudhveer Tandon

Tragedy

मर्द का दर्द

मर्द का दर्द

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इंसान हूँ, महसूस होता है, मुझे भी गर्म सर्द

मर्द हूँ तो क्या हुआ होता है मुझे भी तो दर्द।


तो क्या जो आखों से बहती नहीं अश्क धार

दिल रोता अंदर, भले आँखें हो रेगिस्तान थार।


सम्भलना ही नहीं सम्भालना भी तो है मुझे

क्यों मैं रोता नहीं क्या समझाऊं अब तुझे।


दुनिया के लिए मैं तो सख्त हूँ जो झुकता नहीं

मन मेरा जाने है कि चलते क्यों मैं रुकता नहीं।


आँसू टपके मेरे तो कमजोर समझ लेगा कोई

जो तू रोई तो समझेगा कि यादों में होगी खोई।


मजबूत हूँ सह लूंगा खुद को ये विश्वास दिलाता हूँ

टूटे रोते मन को भी हँसा मैं चुटकुलों से जाता हूँ।



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