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Yudhveer Tandon

Abstract

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Yudhveer Tandon

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प्यार या फरेब

प्यार या फरेब

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आज कल जिसे देखो प्यार में सब पागल

देखे बिना मौसम तैयार बरसने को बादल


जरा ठहरो संभलो देखो क्या है हकीकत

औरों से ही सही थोड़ी सी तो लो नसीहत


प्यार नहीं हो कभी सकता भूख का है पर्याय

भूख बसी हो जिसमें प्रेम वहाँ न टिक पाए


अपना मान अपनी संस्कृति को जो ठुकराए

बाद चिड़िया चुगने के खेत वो बड़ा पछताए


समय रहते जो अपना घर माँ बाप नजर आए

बाद में तो वो दर दर की ठोकरें ही बस खाए


मर्यादा को नर नारी जो कोई भी भूल जो जाए

जीवन में खुद ही अपने वो जानबूझ आग लगाये


बीता समय कभी भी लौट वापिस न आए

इसीलिए समय रहते ही अपना घर बचाएँ


चार दिन मौज खातिर जीवन का न चैन गवाएँ

संयम से जीवन जीते हुए सब संग खुशियाँ मनाएं।


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