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Yudhveer Tandon

Inspirational

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Yudhveer Tandon

Inspirational

बदलता मानव

बदलता मानव

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आज मानव समझने लगा सब कुछ बिकाऊ

सोचता है अपना बाद में पहले ओरों का हिस्सा खाऊँ

ऐसे लोभी मानव को भला मैं कैसे समझाऊँ 

तीन-तीन पृथ्वियां कहाँ से लाऊं।


मोर, मोनाल, भालू और चीता

हैं पृथ्वी की जैव विवधता 

इन्होंने ही सम्भाला है प्रकृति का मिजाज़ 

हम हो गये हम फिर भी इन्ही से दगाबाज 

उजाड़ दिए इनके आवास 

बस इसलिए कि हम चाहते हैं विकास 

सब देख रहा है वो रचयीता 

सम्भल जा बंदे मत कर ऐसी खता।

 

उस उड़ती चिड़िया ने तेरा क्या बिगाड़ा है 

धरती पर रहने का अधिकार उसका भी 

उतना ही है जितना की तुम्हारा है

जिन पेड़ो ने वायु देकर तेरा जीवन संवारा है 

तुमने उन्ही की जड़ो को कुल्हाडी से मारा है।


तू भूल गया मानवता का धर्म 

 नाश की और ले जा रहे तेरे ये कदम 

धरती देख कैसे हो रही गर्म 

बर्फ पहाड़ों की कैसे पड़ रही नरम

वायु से घुट रहा देख कैसे मानव का दम 

कैसे हो रही मृदा की उपजाऊ शक्ति बेदम

कब तक करेगा तू एसे कर्म  

अरे मानव अब कर कुछ शर्म।


पशु-पक्षियों पेड़ों को बचना फर्ज है तेरा अहसान नहीं 

कर्ज तेरा इनके सर पर भिक्षा या कोई दान नहीं।


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