Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

AMAN SINHA

Tragedy Fantasy

4  

AMAN SINHA

Tragedy Fantasy

दासतां दिल की

दासतां दिल की

1 min
285


कभी मैं दासतां दिल की, नहीं खुल के बताता हूँ 

कई हैं छंद होंठों पर, ना उनको गुनगुनाता हूँ 

अभी तो पाया था मैंने, सुकून अपने तरानों से 

उसे तुम भी समझ जाओ, चलो मैं आजमाता हूँ 


जो लिखता हूँ जो पढ़ता हूँ, वही बस याद रहता है 

बस कागज कलम ही है, जो मेरे पास रहता है

भरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर है 

ज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है 


भले दो शब्द ही लिखूं, पर उसके मायने तो हो 

सजाने को मेरे घर में , कोई एक आईना तो हो 

भला करना है क्या मुझको, बताओ शीश महलों का 

सुकून से छिपा लूँ सिर, खुद का एक ठिकाना तो हो 


कभी कोई मुझसे ही मुझी को पूछ ना बैठे 

मैं थोड़ा सा घमंडी हूँ कोई ये सोच ना बैठे 

मैं सदा चुप ही रहता हूँ नहीं गुरूर ये मेरा 

जो दिल को खोल दोगे तुम बना लूँगा वहीं डेरा 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy