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Rajit ram Ranjan

Drama

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Rajit ram Ranjan

Drama

चरित्रहीन लोग ही खूबसुंदर

चरित्रहीन लोग ही खूबसुंदर

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आज देखा जाये तो,

अपने समाज के

लोगों ने खुद का एक चरित्र

बना लिया हैं।


जैसा चरित्र, वैसे ही

पेश आते हैं,

जो हैं नहीं,

वे बनने की

कोशिश करते हैं,


और जो है

वे भी नही बन

पाते हैं।


एक चरित्र में

खुद को बाँध के

रखते हैं,


उससे ना तो ज्यादा

सोच सकते हैं,

और न ही करना चाहते हैं।


जो चरित्रहीन होते हैं,

वे हमेशा खुश रहते हैं,


अक्सर बहुओं को

अपनी सांस पसंद नहीं आती,

क्योंकि सास बहू को

एक चरित्र में बाँधना चाहती हैं,


जो बहू नही चाहती हैं,

चरित्र हुआ तो

हमारा एक टारगेट हो जाता है।


हमें यही कार्य करना है, क्यों ?

क्योंकि हमारा चरित्र

ही यही है।


जो कभी अचानक हँस दे,

गुनगुना दे,

मुस्करा दे

लोग उसे पागल कह देते हैं।


जब की उसका कोई चरित्र नहीं है,

हम उसका भी चरित्र बना देते हैं।


हवा का कोई चरित्र नहीं

होता मगर हम लोग

उसका भी चरित्र

फिक्स कर दिये हैं,


हवा धीरे चल रही है,,

तेज चल रही है,

तो आंधी आ गयी,

जबकि हवा का कोई चरित्र नही हैं।


पानी का भी कोई चरित्र नही हैं,

मगर हमने ठण्डा - गरम कहके,

इसका भी चरित्र बना दिया है।


चरित्रहीन लोग कम है,

मगर अच्छे हैं।


जो अपने आपसे सोच सके,

कुछ करने का हौसला रखे,

पक्षपातों से घिरा ना हो,

वही चरित्रहीन है,

और खूबसुंदर।


इसीलिए मेरे दोस्तो

जो चरित्रहीन है

वही खूबसुंदर है।


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