चलो चाँद को चलें
चलो चाँद को चलें
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ओ दिलदार, चलो चाँद को चलें
रॉकेट में बैठ कर शान से चलेंगे
वो पहले बनेंगे धरती के प्राणी
जो जोड़े के रूप में वहाँ उतरेंगे
युगल यान है तैयार छत पर खड़ा
रात्रि के दूजे प्रहर विदाई लेगा ये
फिर धरती के दो लगाएगा चक्कर
चंद्र धरा पर भोर भए उतरेगा ये
नयनों के टीवी पर होगी डिबेट
दिल के अखबारों में छपेगी खबर
भारत का एक अनोखा नवयुगल
पहले प्रयास में चांद पर गया उतर
कम गुरुत्वाकर्षण का होगा आनंद
ये सोच सोच कर दिल है शर्माता
रोज़ रोज़ ऐसी ही यात्रा करने को
कल्पनाशील मन है खूब ललचाता।