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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

चले चलो !

चले चलो !

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तन्हा मेरे कदम अब उठते नहीं , 

साथ तुम मेरे अब चले चलो ; 

नींद भी मुझे अब आ रही है ,

ख़्वाब मेरे तुम अब पलो पलो ;

महबूबा मेरी बहुत हसीन है ,

चाँद तुम अब जलो जलो ;

हो वो अब मेरे इतने करीब , 

बर्फ तुम अब गलो गलो ;

देखता हूँ अब मैं एक तुम्हे , 

प्रीत तुम मेरी बढ़ी चलो ;

जुदा अब कभी ना होंगे हम ,

ए वक़्त तुम अब टलो टलो ;

दूरियां अब सिमटने वाली है ,

हसरतों तुम अब फूलो फलो ;

प्रेम दीप 'प्रखर' अब जला रहा ; 

प्रीत 'रज्ज" मेरी अब मिलो मिलो !  


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