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चिड़िया

चिड़िया

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चिड़िया उड़ने के लिए

ही तो आती है,


उड़ जाती है दूर

कहीं किसी और खिड़की

या पेड़ पर,


हवाओं में

बिना अपने निशाँ छोड़

तुम भी उड़ गई,


पर यादों की एक लम्बी

रेल छोड़कर

जो अक्सर

गुजरती है मुझसे


और धड़धड़ा कर

चली जाती है।


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