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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

"छोड़ दे चीज, पिज्जा,बर्गर"

"छोड़ दे चीज, पिज्जा,बर्गर"

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जो खाते है,चीज,पिज्जा,बर्गर

फिर वो जिंदगी हो जाती दूभर

जो जीभ के स्वाद को मानते हैं

बिगड़ते,फिर वो,स्वास्थ्य सुंदर

जो फास्टफूड खाते हैं,पेट भर

उनको मोटापा आता है,सदर

बीपी,शुगर रोग होते,इस कदर

न वो रातों को ठीक से सो पाते

न वो दिन को सुकूं से रह पाते

फ़ास्टफूड होता है,मीठा जहर

जो जिंदगी में लाता है,कहर

जो खाते है,चीज,पिज्जा,बर्गर

उस जिंदगी को लगती है,नजर

फ़ास्टफूड नही होते,स्वास्थ्यप्रद

फिर भी लोग खाते,पेट भर-भर

पर कठिन होती वो जीवन-डगर

जिसमें भरा चीज,पिज़्ज़ा,बर्गर

वो फिर जिंदगी जीते हैं,डर-डर

जग-भीड़ में हो मोटापे के शहर

लोग ताने देते,मोटे कह-कहकर

फिर जिम भी जाते,पर सब व्यर्थ

एकबार मोटा पेट हो जाने के बाद

आसानी से न पिघलता,चर्बी शहर

फिर उनकी जिंदगी चलती,मर-मर

जो खाते है,फ़ास्टफूड मीठा जहर

छोड़ वक्त रहते,चीज,पिज्जा,बर्गर

ताकि जिंदगी न कांपे तेरी थर-थर

वो ही जिंदगी बनती है,आज सुंदर

जो ताजा खाना खाता,स्वास्थ्यप्रद

दूर रह जीभ के प्रलोभनों से नर

ताकि न लेटे,तू अस्पताल बेड पर

और लंबी उम्र का पा खुद से वर

इसके लिये छोड़,चीज,पिज्जा,बर्गर

अपना फल,हरी,सब्जी आहार सुंदर


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