छंदमुक्त कविता
छंदमुक्त कविता
चंदा मामा आओ ना
मेरे साथ गाओ ना
परियों के देश में
तारों के भेष में
मेरे साथ टिमटिमाओं ना
चंदा मामा आओ ना ।
किरणों का झूला झूलेंगे
पेंग बढ़ाकर नभ छू लेंगे
तुम मामा ही अच्छे थे
जब हम छोटे बच्चे थे
मैं नाक तुम्हारा ढूंढा करती थी
अब मिला, तब मिला
क्या तुम्हें आंख मिला?
मैं मां से यही कहा करती थी
तुम हमें ताकतें रहते थे
हम तुम्हें निहारा करते थे
तुम मामा ही अच्छे थे
जब हम छोटे बच्चे थे ।
एक बुढ़िया वहां पर रहती थी
जो धान कूटा करती थी
जब हम ऊपर तकते थे
तब वे नीचे देखती थी
मैं जहां- जहां भी जाती थी
तुम पीछे-पीछे आते थे
मैं तुमसे भागा करती थी
तुम छोड़कर कब जाते थे
नानी के घर तुम मुझसे ही
पहले हो आया करते थे
तुम मामा ही अच्छे थे
जब हम छोटे बच्चे थे ।
