रात की कहानी
रात की कहानी
दूर गगन में देखा मैंने
चाँद के पास एक तारा
दादी जिसे बचपन में कहती
धुर्वतारा है सबसे प्यारा
सूने मैदान से देखा मैंने
आकाश का ये अद्भुत नज़ारा
जमीं थी पूरी डूबी रस में
भौंरा फूलों पर मंडराता
हरसिंगार रात की रानी
सुगंध बिखराते हैं मस्तानी
मन में हलचल मचती फिर
रोज देखते चाँद की चांदनी
हमने है जबसे ये जाना
चाँद को अपना गुरु है माना
दिखा देता है ये कारस्तानी
मन एकाग्र कर ले ध्यानी
रात सन्नाटे की आवाज़
झींगुर करता है परवाज
मन के अंधियारे में फिर कोई
जुगनू दिया दिखाता आज
सन्नाटे में हैं अद्भुत शान्ति
दावे से कहता है अविनाश
सारे मन में फिर शून्यता
भर देता है नीला आकाश