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Sunita Jauhari

Tragedy

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Sunita Jauhari

Tragedy

#SMBoss #शोक कविता

#SMBoss #शोक कविता

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कण-कण सरयू तट का

संतप्त है करुण क्रंदन से

शब्द भेदी बाण ने राजन

अरे!विहीन किया नंदन से,

पीट रही छाती कोस रहा मन

निर्मम , निर्दयी हत्यारे को

कर जोड़ जो खड़ा है प्रत्यक्ष

अयोध्या नाथ दशरथ प्यारे को,

हा! श्रवण हाय! मेरा पूत

चीत्कार रहे वृद्ध मात-पिता

हे!दशरथ मामा होकर भी हत्यारा

जला अब भांजे का तू चिता,

हाय! महादुख पाया अरे

रुक गया हमारा संसार

मरणावस्था में सामने

पूत पड़ा है श्रवण कुमार ।


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