#SMBoss #शोक कविता
#SMBoss #शोक कविता
कण-कण सरयू तट का
संतप्त है करुण क्रंदन से
शब्द भेदी बाण ने राजन
अरे!विहीन किया नंदन से,
पीट रही छाती कोस रहा मन
निर्मम , निर्दयी हत्यारे को
कर जोड़ जो खड़ा है प्रत्यक्ष
अयोध्या नाथ दशरथ प्यारे को,
हा! श्रवण हाय! मेरा पूत
चीत्कार रहे वृद्ध मात-पिता
हे!दशरथ मामा होकर भी हत्यारा
जला अब भांजे का तू चिता,
हाय! महादुख पाया अरे
रुक गया हमारा संसार
मरणावस्था में सामने
पूत पड़ा है श्रवण कुमार ।
