फूल हँसे कलियाँ मुस्काई
फूल हँसे कलियाँ मुस्काई
पूर्व दिशा जब सूरज झांके
बिहँसि उषा ने मुखड़े ढाँके
सूरज ने जब ली अँगड़ाई
नज़र मिली ऊषा शरमाई
ऊषा ने जब नज़र मिलाई
फूल हँसे, कलियाँ मुस्काईं
मंद मदिर बही पुरवाई
तन मन में उल्लास जगाई
निशा अभागी सब तज भागी
प्रकृति ने भी निद्रा त्यागी
कमल सरोवर में मुस्काये
अपने सम छवि लेकर आये
भ्रमरों ने जब गीत सुनाये
कमलदलों के हृदय सुहाये
जल में हलचल करती मछली
खुशी खुशी से जल में उछली
चहक उठीं चिड़ियाँ पेड़ों पर,
चीं चीं चीं चीं के गूँजे स्वर
आसमान में छिप गए तारे
क्षितिज मार्ग जब सूर्य पधारे
देख उजास भगा अंधियारा
जगी सृष्टि भया उजियारा
महके आँगन हुआ सवेरा
कोलाहल ने डाला डेरा।