STORYMIRROR

Dr Manisha Sharma

Children Stories

3  

Dr Manisha Sharma

Children Stories

बचपन

बचपन

1 min
242

मुझ को भी वो पंख दो मैया

दूर गगन तक उड़ आऊँ

आसमान में टँगे सितारे 

चाँद सितारे ले आऊँ


मुझ को तुम एक तितली कर दो

वन उपवन मैं लहराऊँ

डाल डाल जो फूल खिले हैं

उन संग मैं भी मुस्काऊँ


मुझ को मीठी कलरव दे दो 

बन चिड़िया मैं चहकाऊँ

खोल के पिंजरे की मैं ताली

यहाँ वहाँ पर इठलाऊँ


क्यों छीने हैं पंख ये मेरे

क्यों पिंजरे में कैद किया

नन्हे मुन्ने बालक से क्यों

बचपन तुमने छीन लिया


नहीं चाहिए मोटे बस्ते

बोझ से मुझ को लगते हैं

थामे रहता दिन भर इनको

कंधे बहुत ही दुखते हैं


थोड़ी सी शैतानी मेरी

मुझ को वापस कर दो ना

बचपन में क्यों बड़ा बनाया

फिर से बच्चा कर दो माँ


जी लेने दो बचपन मुझ को

मैं ख़ुद आगे बढ़ जाऊँगा

यकीं करो माँ एक दिन मैं भी

सारी किताबें पढ़ जाऊँगा


पर आज जो मुझसे छीनोगी 

तो ये बचपन मर जायेगा

तेरा नन्हा लाल अचानक

पत्थर बुत बन जायेगा..



Rate this content
Log in