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Dinesh Dubey

Tragedy

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Dinesh Dubey

Tragedy

छल कपट

छल कपट

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छल,.. कपट बिन कुछ ना होता 

आज के इस संसार में ,

सीधा साधा भूखा रहता 

पैसे पैसे को रोता रहता ,


कपटी का घर भरा ही रहता 

उसपे कोई कमी न रहता

करते हैं लोग उसकी तारीफ 

धन कुबेर जो बन कर बैठा ,


छली ही आज बली बना है

अपनो को ही वह छल रहा है ,

जहां देखो वह करता कपट 

छल से वह सब लेता झपट ,


उसके आगे किसी की न चलती 

ईश्वर को भी है घुस देता 

राजा से रंक तक किसी को भी

ना उसने छोड़ा है , छली ही है बली।



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