चेहरे की किताब
चेहरे की किताब
चेहरे की किताब कुछ कहती है
ज़िन्दगी मुस्कान में ही रहती है।
ग़मों के जो थे साये छट गए,
खुशियों की बयार ये बहती है।
खिला सा कँवल तेरा चेहरा,
सुबहा की यूँ शुरुआत होती है।
ज़ुल्फ़ यूँ संवरी बिखरी सी,
रोशन चेहरे का लिहाफ होती है।
रहे सलामत नूर-ओ -जमाल
दिल में तेरे गीता, क़ुरआन होती है।