#चाँद
#चाँद
देख चाँद आज मचल गया मेरा दिल
कैसे पहुँचू, दूर बहुत है आसमां....
काले आसमां में टंके हुए आशा के तारे
देखो बादलों के ओट छुपे हँसीन नज़ारे
मंजिल तो दूर हैं, पर करती हूँ कोशिश
क्या पता मिल जाये समाधान की सीढ़ी
जीवन की किताबों, उम्मीद का दिया
ले चली मैं चाँद के रथ पर सवार होके
अभिलाषाओं से, झोली भर चली मैं
टुकड़े भी संभाल दिल में, ले चली मैं
जख्मों की शिकायत करू भी किससे
बेवफाइयों का सिला कहूँ भी किससे
मुस्कुरा, पी गई मैं वो अश्कों के मोती
जो तुमने दिये मेरी मुहब्बत के बदले
यहीं चांदनी रात और तारों की रात थी
जो हमने बिताई थी ख्वाबों के साथ !