यादें
यादें
यादों की गलियों से निकले जब हम
तुम याद बहुत आये
कई बार सोचा खत लिखने को
तुम्हें
दिल के लिफाफे पर पता भी
लिख दिया
शायद तुम्हें मिल गया होगा
हाल दिल का
इंतिजार की घड़ियाँ हैं
बहुत लम्बी....
लेकिन मैं इंतजार करुँगी
अपनी चाहत का...
कयामत भी आ जाये तो
क्या
कदम तो मिलाना है साथ
तुम्हारे
हकीकत से कब बदले तुम
यादों में
यादों से निकल कब तुम
मिले ख्वाबों में।