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Sangita Tripathi

Abstract

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Sangita Tripathi

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प्रकृति

प्रकृति

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प्रकृति के कहर से 

प्रदुषण युक्त हुआ 

पर्यावरण

 

इंसान की स्पर्धा ने 

न्योता दिया पर्यावरण के 

 विनाश का


माना आगे बहुत बढ़े 

पर खो दिया नैसर्गिक 

सौंदर्य को


 निखरे रंग और अलबेली 

 छटा वाली प्रकृति को 

 संभाल लो


  गर अभी भी जागे नहीं 

  आने वाली पीढ़ी को 

 नहीं मिलेगी विरासत


शुद्ध वायु और ताजगी 

मिलेगी कँहा जो दोगे 

नई पीढ़ी को।  


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