प्रकृति के रूप
प्रकृति के रूप
कई रंग रूप हैं तेरे
पर तेरे सौन्दर्य के
उपासक है
तेरी वो विनाश कारी
रूप पडती हैं भारी
शिव के नेत्र
माना हमने किया
गुनाह बहुत
अवहेलना की तेरी
समझी नहीं कीमत
पर इतनी सजा ना दे
सबक मिल गया
अब ना करेंगे गलती
तेरी गोद तले ही
सुकून के पल।