चाह
चाह
तुमसे चाहा-
थोड़ा -सा प्यार...
अँजूरी भर दुलार....
तुमने कीमत लगा दी!
दिल में दीमक लगा दी।
तुमसे चाहा -
पल भर मनुहार..
नज़रों की फुहार...
तुमने हँसी उड़ा दी!
ज़माने की नज़रें दिखा दी।
तुमसे चाहा -
चाँदनी-सी छुअन..
मखमली मानस भुवन...
तूने पानी में आग लगा दी!
रेगिस्तान में प्यास जगा दी।
काश !
मुझसे भी कभी चाहे होते -
सिर के लिए कंधे..
आँखों के लिए बहार ...
मन के लिए बहलाव ....
और......
और बहुत कुछ....
जो तुम्हारी सोच से परे हो।
