कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ
कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ
जलता है संसार! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
मानवता की हार ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
होठों पर चित्कार,हाय !
आँखों से रिसता पानी।
रक्त बूँद के लिए हमारी,
रीती, भरी जवानी।
जले वसंत में, जीवन का नया फाग कहाँ से लाऊँ!
फड़कीं मेरी भुजाएँ! कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
शोर मचा हो दुनिया में
जब बारूदी नारों का!
दिखता हो चहुँ ओर मुझे,
जब, लाल रंग, तारों का।
कलम उठाऊँ, शब्द बिखेरूँ, राग कहाँ से लाऊँ ?
सिसकी लेते आँसू! कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
जनता उलझी यक्ष - प्रश्न में,
मार्गप्रदर्शक राग - जश्न में,
जूझ रहा है मंदिर - मस्जिद,
अल्ला-अकबर, राम -कृष्ण में।
अंधे - गूँगे - बहरों के बीच कैसे सुंदर गाऊँ ?
रोता भाग्यविधाता!कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
न्याय से सस्ती अस्मत हो
औ' ज़िल्लत भरी जवानी।
रामराज का क्या होगा ?
जब मिटा नयन का पानी !
तरस रहे जीवन के आगे कैसे स्वप्न सजाऊँ ?
भूखे पेट, कहो ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ ?
