चाह हमारी
चाह हमारी
हम तो वो सूरज कि रोशनी बनना चाहे,
जो तुम्हारे कमरे कि खिड़की से होकर
तुम्हारे सोते हुए चेहरे पर पड़े।
हम तो वो बारिश की बूंदें बनना चाहे ,
जो तुम्हारे कोमल जिस्म से होकर
धरती में समा जाए।
हम तो वो बिस्तर बनना चाहे ,
जिस पर तुमने अपने कीमती आंसू बहाए।
हमारी चाह है वो समुद्र बनना
जिसकी लहरों की आवाजें तुम्हें सुकून दे।
हम वो शरद का मौसम बनना चाहे ,
जो तुम्हारी पसंद है ।
तमन्ना है हमारी की,
हम तुम्हारे हंसते हुए चेहरे
का मात्र सिर्फ एक कारण बन जाए ।
हमें तो तड़प है की हम एक कण बन कर ,
तुम्हारे अस्तित्व मैं समा जाए ।
हमें तो बस यही चाह है की ,
हम अपनी चाह पूरी कर पाए ।