Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anu Yadav

Tragedy

4  

Anu Yadav

Tragedy

एक रूह की जुबानी

एक रूह की जुबानी

1 min
331


नसीब में शायद नहीं थी 

हमारी कोई कहानी

बूंद बूंद करके बरस गये हमारे सपने

आँखों समान बादल से

पलकों के रंग उतार कर सजाए वो सपने हमने

इंद्रधनुष की भली भाँति

जीवन मे खुशियां जिससे मिलती थी

वो अब सिर्फ चूर चूर हो कर 

दुःख दे रहे 

हालात को दोषी मानु या खुद को? 

इस संसार के लोगों को या पूरे ब्रह्माण्ड को

सिसक सिसक के रो रहे है 

जिनकी वजह से आज हम इस पल

उन्हें हंसता हुआ मुखड़ा कैसे दिखाऊँ? 

ये शाम ढल गयी

सबने उस बात को भुला दी

मैं कैसे भूलूँ उस रोशनी को

जो अंधकार के समय उजाला कर गयी

एक बार ही सही लेकिन वो रोशनी तो आयी

मगर रब की मर्ज़ी नहीं थी इसलिए 

छीन गयी वो चीज जो थी कभी हमारी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy