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Ekta Kocharrelan

Tragedy

3  

Ekta Kocharrelan

Tragedy

बूढ़ी माँ

बूढ़ी माँ

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बस तेरे घर का एक कोना चाहती हूँ


बूढ़ी माँ बोली लाल! मत भेजो वृद्धाश्रम,

बस तेरे घर का इक कोना चाहती हूँ।


देखकर तुझ को नैनों के झरोखों से,

बस हर पल खुश रहना चाहती हूँ।


दुख- सुख के अनुभव तुझ से बाँटे हजार,

कुम्लहाते होठों से माथे को चूम लेना चाहती हूँ।


ढलती उम्र मेरी तुझ पर बोझ ना बनेगी,

मेरी निस्तेज आँखें बरबस न बरसेगी।


पाल पोस कर बड़ा किया तू मेरे दिल का टुकड़ा,

बस हर लम्हा तुझ संग जी लेना चाहती हूँ।


ज्यादा कुछ नहीं मांगती मैं तुमसे,

कुछ पल और बस संग रहना चाहती हूँ।


मेरी छांव में तेरे घर को अनुभव दे,

तेरे घर को सुखमय बनाना चाहती हूँ


बहु तुझ को दुल्हन बनाकर लायी,

बेटी थी तुझे बेटी बनाकर लायी।


तुझ को संवारा तुझ को निखारा

मैं दिल में तेरी माँ जैसा कोना चाहती हूँ


तू चाहती होगी घर पर अधिकार,

मैं घर का बस एक छोटा सा कोना चाहती हूँ


बस कुछ लम्हें ही जी लेना चाहती हूँ,

वृद्धाश्रम नहीं तेरे घर का एक कोना चाहती हूँ


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