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Shakuntla Agarwal

Tragedy

4.8  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

बुढ़ापा

बुढ़ापा

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बुढ़ापे तेरी कोई न पूछे बात,

पहले तेरे कितने बढ़िया थे ठाठ,

तेरी तो आँगन में डल गई खाट,

बच्चों को अच्छा - अच्छा खिलाया,

हर फ़रमाईश पर पकड़ाया,

तू तो एक गस्से को तरसाया,

बरडाया तो पेटू कहलाया,

तू तो उनके रहमों - करम पर आज,

बुढ़ापे तेरी कोई न पूछे बात,


कुत्ते को ड्रॉईंग रूम में बिठाया,

उसको गोदी में ही सुलाया,

मख़मल में उसको दुबकाया,

तू तो गूदड़ो में लिपटाया,

कुत्ते की तेरे से ज़्यादा औकात,

कुत्ते के तेरे से अच्छे ठाठ,

बुढ़ापे तेरी कोई न पूछे बात,


मेहमान आये घना हर्षाया,

मन ही मन घना मुस्काया,

बहरा है सुनता कोणा,

कहके टरकाया,

आँखों से लाचार बताया,

तू तो देखता ही रह गया उनकी बाट,

बुढ़ापे तेरी कोई न पूछे बात,


शादी - ब्याह में घना इतराया,

तू तो फ़ूले नहीं समाया,

कोने में तुझको सरकाया,

लाखों का अपने चूना लगवाया,

अब तू बेवक़ूफ़ कहलवाया,

तू तो गूदड़ों में सड़ गया आज "शकुन",

बुढ़ापे तेरी कोई न पूछे बात। 


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