बतायेंगे एक दिन
बतायेंगे एक दिन
बतायेंगे एक दिन तुमको हम के कितने
जुलम दुनिया ने किए कितने हमने सहे ।
ठोकरे लगती रही हम गिरते रहे पत्थरो
से टकरा कर टूटे नही सब पत्थर सहे ।
कुछ बातों में हम रह गए कुछ बातों में हम बह गए,
सागर से मिलना था तभी तेज बहाव भी सह गए।
इस दुनिया को बस इतनी खबर की मौहब्बत है,
अब वो दीवार-ए-दर से या दुनिया से ये कौन कहे।