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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

बरसाती ताल उभरी अंखियन

बरसाती ताल उभरी अंखियन

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जिन्दगी थम रही है

किसे जीने की चाहत नहीं होती

उसने भी तो चाहा होगा,

कोशिशें और मिन्नतें भी होती रहीं।

उसने हर सांस अपनी औरों में बाँटी

काश उचित वक्त पर कोई समझा पाता

जिन्दगी क्या है उसको बतला पाता 

किसी के ग़म में शामिल हो जाना

किसी के ग़म को अपना ही बना लेना

घड़ी-घड़ी में जान अटकाए रहना ।

बात हद से गुज़र गई होगी,

खतरे के निशान से ऊपर बहता पानी।

आज गुरु भाई के पेट से पानी निकाल दिया गया

जॉन्डिस होने की बात चिकित्सक कह रहे

पहले ही तो बताया था लिवर डैमेज है

हार कर थक कर परेशान होने का समय नहीं बचा।


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