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Vibha Rani Shrivastava

Inspirational

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Vibha Rani Shrivastava

Inspirational

पिता

पिता

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मेरी शादी के बाद मुझे पापा की लिखी चिट्ठियों को पाने का सौभाग्य मिला। जन्म से शादी तक साथ ही रहना हुआ था हमारा। लगभग छः महीने मैं अपने दादा-दादी के संग रही थी जब मैं कक्षा तीन में पढ़ती थी। उस दौरान मुझे सम्बोधित करते हुए कोई पत्र आया हो यह स्मरण में नहीं है। 

चिट्ठियों में कभी भोजपुरी भाषा से शुरुआत की गयी होती तो मध्य से हिन्दी भाषा में बातें लिखी होती और कभी हिन्दी से शुरुआत की गयी होती तो मध्य से भोजपुरी में बातें लिखी होती... ।

घर-परिवार-रिश्तेदारों , खेत-खलिहान, गाय-बैल देखने वालों की बातों से लेकर फसलों के बोने से पकने तक की खबरें और पर्व त्यौहारों रीति -रिवाजों की सूचना से भरा अंतर्देशीय मिलता..!

कौतूहल और बेसब्री से उनके लिखे पत्र की मैं प्रतीक्षारत रहती।


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