संतुष्टि
संतुष्टि


कौन अपना है ?
जिन्हें केवल हम
अपनी ओर से
अपना कह लें..!
क्या है अपनापन ?
जरूरत पड़ने पर
हमारी तुम्हारी
खोज हो जाती है।
खैर ! हम समय पर
साथ देना
क्यों छोड़ दें..वरना
पहना दिए जाएंगे हमें
स्वार्थी होने का तगमा
हम अपनी ओर से
जो कर सकते हैं
करते रहेंगे
गाते रहेंगे खुशियों के नगमा..
हमारा ऋण ब्याज
ईश खुदा गॉड वाहे गुरु
वो हैं! ऊपर वाले संभालते
उनके अपने वही बही-खाते।
अपने किसी अनुयायी को
सूद समेत लौटाने भेजते।
इस भयावह काल में मिले बच्चे
हालचाल
पूछ लेते।
भोजन दवा की व्यवस्था करते
जिनसे नहीं है गर्भनाल के रिश्ते।
आपके कितने बच्चे हो गए होंगे ?
माया बहू का प्रश्न बेहद कौतूहलवश था।
प्रीति, एकता, बुचिया, बिटिया,
शाइस्ता , प्रियंका,मुनिया, चुनिया, बिट्टू,
और
अभिलाष, रवि, आदर्श, सन्दीप,
राहुल, संजय, रब्बान, आदर्श,
प्रभास , हिमांशु, विष्णु, उपेंद्र...,
"हा हा हा ! बस ! बस ! रहने दें माँ...!
बहू होने के पहले जान गई थी
मैं रानी बेटी बनते हुए...!
एक के आगे शून्य बढ़ाते जाना है,
माँ का आँचल आकाश सा होना है।"
इस भयावह काल में
माँ का आँचल आकाश सा है !