आक्रोश
आक्रोश
'क्या आप शाम के नाश्ते में मैगी/पास्ता खा लेंगे?'
'हद करती हो तुम भी न!
भुजा खिलाओ.. जानती हो!
विदेशी चलन मुझे नहीं पचता।'
'थोड़ा आप भी समझने की कोशिश करें,
अपार्टमेंट निवास मुझे नहीं जँचता।'
तालाब पाटकर शजर काटकर
अजायबघर बनाने से मन नहीं भरा।
स्मार्टसिटी बनाने के जुनून में
ओवरब्रिज का जाल बिछा देने का चस्का चढ़ा।
अटल पथ पर बने फुट ब्रिज पर सेल्फी ले आऊँ
आज दिनभर यही सोचती रही,
कैद कमरे में नाखून नोचती रही।
कंक्रीट के जंगल में बिना आँगन,
कुछ फ्लोर में बिना छत का काटती सज़ा,
सूना गलियारा जिन्दगी गुजरे बेमज़ा।
पर्यावरण दिवस की दे देनी थी बधाई।