STORYMIRROR

Anil Jaswal

Fantasy

4  

Anil Jaswal

Fantasy

बर्फबारी से रूबरू।

बर्फबारी से रूबरू।

1 min
364

एक दिसंबर की शाम,

थी बहुत ठण्ड,

बादल छाए हुए,

हवा बिल्कुल बंद,

मैं लाइब्रेरी से निकला,

और घर की ओर बढ़ा।


अभी कुछ कदम ही चला,

बर्फबारी ने आ घेरा,

बिल्कुल रूई की तरह,

छपक छपक नीचे गिरती हुई,

कंपकंपी शरीर से निकलती हुई,

अभी कुछ समय ही हुआ,

चारों तरफ सफेद नजारा,

देखने को मिला।


पांव एक दम सून,

आगे बढ़ने से करें इंकार,

खून ऐसा लगे,

दौरा करना बंद कर गया,

मानो जम गया,

लेकिन मंजिल दूर,

पहुंचना जरूर।


हैरानी तब हुई,

जब सड़कें खाली सपाट मिलीं,

लेकिन वो कहावत,

सच होती दिखी,

हौसला रख,

भगवान सुनेगा झट,

तभी एक चाय वाला दिखा,

मैंने उससे चाय बनाने को कहा,

लेकिन वलां मौके का,

वो था देवदूत,

उसने आव देखा न ताव,

बोला सौ रूपया लगेगा जनाब,

तभी चाय से होगा,

आपका मिलाप।


मैं क्या करता,

झट से माना,

और चाय का प्याला थामा,

आखिर ये गर्म शरबत अंदर गया,

मुझे जीवन दान मिला।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy