STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy

कॉफी के प्याले सी तू

कॉफी के प्याले सी तू

1 min
230

कॉफी, चाय वगैरह तो हम पीते नहीं 

एक एक सिप सी जिंदगी हम जीते नहीं 

दो करारे लबों की कुछ गरमाहट चाहिए 

ताजगी भरने वाली वो मुस्कुराहट चाहिए 

दो नयनों के प्रकाश से घर में उजाला है 

कातिल अदाओं से दिल मुश्किल से संभाला है 

गोरा मुखड़ा उस पर ये भड़कता हुआ रूप 

जैसे भयानक ठंड में भली लागे गुनगुनाती धूप 

गर्म जिस्म ऐसा जैसे कॉफी का हो एक प्याला 

प्रियतमा, तू तो है पूरी की पूरी एक मधुशाला 

कॉफी के अलावा और भी बहुत कुछ है तू 

खूबसूरत सपने की तरह एक छलावा है तू 

मस्त हथनी सी चलकर जब तू आती है 

तन बदन में एक ताजगी सी भर जाती है 

तू वो कॉफी है जिसे पीने से मन नहीं भरता है 

ये तेरा प्रेमी तुझमें ही जीता और मरता है 

जितना भी पीता हूं तुझे, प्यास और बढ़ जाती है 

तेरे इश्क की मदिरा दिनों दिन और चढ़ जाती है 

कहीं ऐसा ना हो कि कॉफी में कोई तूफान ना आ जाये 

तुझे पाने का अरमान कहीं दिल में ना रह जाये 

श्री हरि 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance