कितनी मोहब्बत है
कितनी मोहब्बत है
उस गली से गुजरते हुए उससे अनजाने में ही सही
फिर एक बार मुलाकात हो गई।
उसे यूँ देख दिल में दबे सारे अच्छे पलों की
मुझ पर बरसात हो गई।
ना उसने कुछ कहा ना मैंने कुछ
फिर भी सारी बातें खामोशी से ही
गुजरते हुए दिल को छू रही थी।
सारे गीला शिकवा को भूल बस समुंदर से गहरी
उसकी आंखों में ही डूब जाने का मन कर रहा था।
आसपास हो रही आवाज को भूल उसके गाये गीतों को
याद करके उस संगीत को महहसूस करने को
दिल बार बार बोल रहा था।
आज उस पर वो नीली शर्ट कुछ ज्यादा ही जँच रही थी
तभी तो मेरी नजर उससे हट नहीं रही थी।
इतने वक्त बाद भी उसकी एक आदत भी बदली नहीं थी...
बस बदला था तो सिर्फ हमारा रिश्ता।
इतने पास होकर भी ना मापने वाला फासला दोनों के बीच था।
मेरी चुप रहने पर मायूस होने वाला वो लड़का
आज मुझे यू देख भी खामोश खड़ा था।
उसका वो प्यार,वो चाहत, वो वादे, वो जज्बात,
वो एहसास, वो बातें.....सब फरेब ही था।
फिर भी मेरे दिल के सारे एहसास आज भी
उसे यही कहने को बेताब थे कि
कैसे बताऊं तुझे की "कितनी मोहब्बत है।