मेरी महबूबा
मेरी महबूबा
चाँद से भी खूबसूरत महबूबा हमारी,
एक बार क्या सौ बार वारु जिंदगी सारी
उसे देख के मन नहीं भरता,
लगता है यूं ही कट जाएगी उमर हमारी।।
सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात, फीकी है उसपर,,
दुनिया में अद्भुत है ओ नारी,
एक जन्म क्या हर जन्म न्यौछावर करूँगा जिंदगी सारी,,
खुदा भी देख उसे आहें भरता,
की ऐसी किस्मत कहाँ है हमारी ।।
उसकी तुलना करूँ मैं किससे,
ऐसी है ओ मेरी दुलारी,
एक पहर क्या आठों पहर,
करूँगा मैं उसकी मनमानी,
उसे देख के सब जलेंगे,
की पूर्वजन्म में क्यों कि गलती भारी।।
परी लोक में कोई परी नहीं,
ऐसी है ओ मेरी स्वप्नकुमारी,
एक दिशा क्या दसो दिशा में,
करूँगा मैं उसकी रखवाली,
उसे देख के जी लेंगे,
क्योंकि यही है ओ किस्मत हमारी।।
समाप्त
आपके लिए।।
क्योंकि शीशे में कभी खुद को देखना,
खुद की कम मेरी ज्यादा लगती हो।।

