बारिश
बारिश
सावन की घटा मदहोश हवा की
आहट सुनाई देती है
छम छम करती तेरी पायल
दिल में सुकून भर देती है
तेरी बलखाती कमर
तेरे यौवन को सजा देती है
अब मत पूछ ऐ सनम
ये बारिश आग क्यूँ लगा देती है ।
शहर में तेरे होने की खबर
बारिश ही बता देती है
तुझे छू के गुजरने वाली हवा
हमे सिहरा देती है
ये फिजाएं भी तेरे दीदार को
शामें सजा देती है
अब मत पूछ ऐ सनम
ये बारिश आग क्यूँ लगा देती है ।
तुझे देखे जी भर दिल धड़क के
पागल बना देती है ,
खुद को तेरे पास जाने के लिए
हमको बहका देती है,
हमारे मिलन के लिए ये
धड़कने भी चुरा लेती है ,
अब मत पूछ ऐ सनम
ये बारिश आग क्यूँँ लगा देती है ।
