सिर्फ तेरे लिए ही आऊँ
सिर्फ तेरे लिए ही आऊँ
ये कोई शाम नही जिसे भूल जाऊँ
या कोई काम नही जिसे कर जाऊँ
मोह्हबत की नही थी मैंने, ओ तो मैं आज भी ऊँँसी सिद्दत से करता हूँ।
तू कह तो दे एक बार,क्या मैं फिर से ओ वाला गाना गुनगुनाऊँँ।।
ये कोई पल नही जिसे मैं जी जाऊँ
या अब सब्र नही की मैं झेल जाऊँँ
मोह्हबत की नही थी मैंने, ओ तो मैं आज भी ऊँँसी सिद्दत से करता हूँ।
तू कह तो दे एक बार, तेरे घर के सौ सौ चककर लागाऊँँ।।
मेरी मोहब्बत इतनी फीकी मैं कैसे मान जाऊँँ
जिसका रंग ना चढ़ा कैसे खुद को समझाऊँ
मोह्हबत की नही थी मैंने, ओ तो मैं आज भी ऊँँसी सिद्दत से करता हूँ।
तू कह तो दे एक बार , मैट्रिक इंटर वाली ज़िन्दगी फिर से वापस लाऊँँ।।
ये ज़िन्दगी है नही जिसे मैं अपनाऊँ
जहाँ तू है ही नही मैं वहां कहाँ जाऊँ
मोह्हबत की नही थी मैंने, ओ तो मैं आज भी ऊँँसी सिद्दत से करता हूँ।
तू कह तो दे एक बार, जल्दी से मर के बस सिर्फ तेरे लिए ही आऊँँ ।