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Kundan Kumar Singh

Fantasy

4  

Kundan Kumar Singh

Fantasy

वाह रे जिंदगी

वाह रे जिंदगी

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जाएँ तो जाएँ कहाँ

हर मोड़ पे तन्हाई है

किसी को शिक़वा

किसी को गिला


तो किसी को रुसवाई है

कोई दे रहा वफ़ा का वास्ता तो

कोई कह रहा बेवफ़ा- हरजाई है

कोई बेंच रहा झूठ खुलेआम कोई

कोई कह रहा विश्वाश करों 100% सच्चाई है

अहसास का सिलसिला धीरे धीरे कम हो रहा

कोई कह रहा कुछ नहीं वक़्त की अंगड़ाई है

खाते खाते ठोकरें

 

अब चोट का परवाह नहीं

दर्द को सहता हूँ खुद अकेला हँसके

लोग समझते है इसकी जवानी लौट आयी है

गिरता-उठता संभलता चलता हूँ

उस मंज़िल की ओर

रास्ते हँस के कहते हैं


अभी तो तुम्हारी इम्तेहान की बारी आयी है

थक गया हूँ खुद को साबित करते करते

ना जाने जिंदगी किस मोड़ पे ले आयी है।


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