chandraprabha kumar
Classics Fantasy
आ आकर तुम मुझको घेरो ना,
अपनी बातों में मुझको बॉंधो ना।
गति मेरी अवरुद्ध करो ना,
अपने मोहपाश में फॉंसो ना।
गाऊँगी मैं मुक्त चरण हो,
फैलाऊँगी प्रभु की महिमा को।
सपने अपने साकार करूँगी,
अपने पर ही विश्वास धरूँगी।
एकान्त सा...
सफल जीवन
शिव सावन
एकाकी प्रहर
अमृत पु...
उसी का प्रसा...
गये जंगल
गये बाजार
जा...
सुगन्ध महुआ क...
हां मैं खुश हूं दर्पण ने मुझको जीना सिखा दिया। हां मैं खुश हूं दर्पण ने मुझको जीना सिखा दिया।
हे सरस्वति ज्ञान की देवी आपका वंदन अभिनंदन है। हे सरस्वति ज्ञान की देवी आपका वंदन अभिनंदन है।
मेरी जिंदगी का खूबसूरत सफर और यहीं से शुरू हुई थी मेरी कैफे की कहानी। मेरी जिंदगी का खूबसूरत सफर और यहीं से शुरू हुई थी मेरी कैफे की कहानी।
किसी को जाम मिलते हैं किसी को प्यास मिलती है। किसी को जाम मिलते हैं किसी को प्यास मिलती है।
, यूं रौशन कर सकता है इन्सान फैलाकर अपने ज्ञान का उजियारा। , यूं रौशन कर सकता है इन्सान फैलाकर अपने ज्ञान का उजियारा।
भरी सभा में साड़ी खींचता दुशासन बेबस असहाय द्रौपदी। भरी सभा में साड़ी खींचता दुशासन बेबस असहाय द्रौपदी।
श्याम तेरे चरणों में है शत शत प्रणाम, तेरे दर्शन करने हम आए गोकुल धाम। श्याम तेरे चरणों में है शत शत प्रणाम, तेरे दर्शन करने हम आए गोकुल धाम।
निरंतर जपो हनुमत नाम पूर्ण करें प्रभु विगड़े काम। निरंतर जपो हनुमत नाम पूर्ण करें प्रभु विगड़े काम।
ज़ब उसने छल से,सीता का अपहरण किया, असहनीय था उस दुष्ट रावण का ये व्यवहार। ज़ब उसने छल से,सीता का अपहरण किया, असहनीय था उस दुष्ट रावण का ये व्यवहार।
बस चलना चलते ही जाना जीवन की मजबूरी है। बस चलना चलते ही जाना जीवन की मजबूरी है।
1 जय रघुनंदन राघव राम। सप्तताल प्रभेता राम। राम की गाथा, राम विधाता। 1 जय रघुनंदन राघव राम। सप्तताल प्रभेता राम। राम की गाथा, राम विधाता।
तेरे आंचल की छांव में जिंदगी की धूप कम लगती थी। तेरे आंचल की छांव में जिंदगी की धूप कम लगती थी।
मथुरा पधारे नंदलाल देवकी माई हुई बेहाल! मथुरा पधारे नंदलाल देवकी माई हुई बेहाल!
धरा गर्त में सोये बीजों को प्यारी थपकी दे सहलाएगा । धरा गर्त में सोये बीजों को प्यारी थपकी दे सहलाएगा ।
लगा चिनिया बदाम है ये जो मेरा गांव है शहर का पड़ाव है।। लगा चिनिया बदाम है ये जो मेरा गांव है शहर का पड़ाव है।।
इंद्रिय सारी लगी हुईं नित, भोग-भाव की लोलुपता में इंद्रिय सारी लगी हुईं नित, भोग-भाव की लोलुपता में
वह बूढ़ी काकी, जो कोने में बैठी, दुनिया विलग, हर खुशी से ऐंठी। वह बूढ़ी काकी, जो कोने में बैठी, दुनिया विलग, हर खुशी से ऐंठी।
वर मांगो जो द्रौपदी चाहती, संकोच न मन में तिल भर हो।। वर मांगो जो द्रौपदी चाहती, संकोच न मन में तिल भर हो।।
दब के मिट्टी में कई सालो से था सोया हुआ आज जागा बीज,अब जाके दरख़्त बनाएगा। दब के मिट्टी में कई सालो से था सोया हुआ आज जागा बीज,अब जाके दरख़्त बनाएगा।
है प्यार इस दुनिया में ये माना, तुमको देख कर राम ये जाना ! है प्यार इस दुनिया में ये माना, तुमको देख कर राम ये जाना !