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Manish Solanki

Romance Fantasy

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Manish Solanki

Romance Fantasy

बंधन तेरी यादों पे...........

बंधन तेरी यादों पे...........

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सोच रहा था तुझसे बात करूँ या नहीं 

मन ना कह रहा था, लेकिन दिल संभल नहीं रहा था।

मेरी उंगलियां तरस रही थी पूरा दिन तुझे मैसेज करने को,

लेकिन मेने खुद को आज फोन से ही अलग कर दिया था।


तुझे दुरकर के खुद को तरासना चाहता था में,

मेने सिर्फ अकेलापन और खामोशी पाई तेरे बिन।


तेरी नामोजुदगी मेरे लिए अंधेरे कमरे सी हो गई थी

तेरी दूरियां मेरे लिए कब्र सी हो गई थी। 


प्यार तो बहुत हे मुझे तुजपे लेकिन एक फरियाद भी हे,

में व्यस्त था और दूर था तूजसे, खुद ने बांध रखा था मुझे।


लेकिन तू तो खुली और आजाद थी,

तूने भी क्यों दूरियाँ चाही मुझसे,  

तूने क्यों एक बार भी मूड के नहींं देखा मुझे,

तूने क्यों टाल दी मेरी बातें, 

तूने क्यों बंध कर दी सारी बात और मुलाकात,

एक बार पुकार लेती मुझे में मोड लेता खुदको

भटक गया था में इन दुनियादारी में,

जकड़ लिया था मुझे इन परेशानियों और जिम्मेदारियों ने।


एक बार पुकार लेती मुझे में दौड़ के चला आता यहां 

हर बात कह जाता यहां।


लेकिन ना तेरा कोय संदेश आया ना ही कोई तार

ना कोय चिट्ठी आई ना ही कोय समाचार

कितना अकेला हो गया था में

कितनी मुश्किलें थी राहों में

एक एक मिनिट मेरी एक एक साल सी गुजर रही थी

तेरे बिन मेरी जिंदगी सिर्फ जिंदगी बन गई थी

कुछ नहीं रहा था तेरे बिन इस जिस्म में

जिंदा लास बनके रह गया था में।


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