मुलाकात
मुलाकात
ना वो इतवार आ रहा हे ओर ना ही तुम
ना वो मुलाकात हो रही हे ना ही वो चाय।
एक चाय उधार हे एक दूसरे की एक दूसरे पर
तुम लेके आवो वक्त कभी यहां
कुछ बाते होगी जिम्मेदारियों की
कुछ सुनाएंगे कहानियां अपनी,
ओर कुछ नहीं होगा उस मुलाकात में
बस मुझे दीदार होगा खोए चांद का
तुझे वक्त मिलेगा दोस्ती में दोस्त का।
माना कि चाय तुझे पसंद नहीं तो
कॉफी मंगवा लेंगे,
बैठना तूजे पसंद नहीं तो
चलते चलते मुलाकात कर लेंगे।
फिजूल का वक्र भी तू बर्बाद नहीं करती कभी
तो हम साथ में कुछ काम ही ले आएंगे,
थोड़ी फुरसत तू निकाल आना, थोड़ा वक्त
हम निकाल आयेंगे,
अरे बाते करनी हे तुजसे मुझे मेरी ही
कुछ इजाज़त चाहिए तुजसे मुझे मेरी ही,
तू आके समझा जा मुझे थोड़ा सा
टूट गया हु एक बार एक कर जा मुझे।
तू दोस्त हे, वेलविशर हे, तू दवा हे मन में चल रहे युद्ध को शांत करने की,
तू वो शख्शियत हे की, जिसकी तरफ उंगली कर में किसी को बता सकू कि ये होती हे
जिम्मेदारियों को अपनाकर सपने संजोने वाली लड़की,
कही दूर जाने से पहले या किसी का पूरी तरह से हो जाने से पहले में एक बार मिलना चाहता हु दोस्त से,
मुलाकात तो फिर भी होती रहेगी लेकिन
बाते फिर उसकी ही होती रहेगी
मुझे बस मुलाकात में तू में ओर चाय चाहिए
तेरी कामयाबियां सुननी हे मुझे
मेरी परेशानियां बतानी हे तुझे,
चाय खत्म होने पे एक ओर चाय बोलनी हे मुझे,
किसी एक दिन दुनिया से नाता तोड़ बस तुझसे मुलाकात चाहिए मुझे,
कुछ था जो अभीतक संभाले रखा हे
इस मुलाकात पे उस से छुटकारा पा के तुझे दे जाना हे मुझे,
महंगी या बड़ी चीज नहीं बस मेरी दोस्ती हे वो
खुद से संजोए हुई खूबसूरत सी कहानी ही हे वो,
तेरा नाम किसी कविता से कम नहीं
तेरी आंखोपे में किताब लिख दु,
शब्द कम पड़ रहे हे तुझे सोच सोच के
आखिरी पन्ने के लिए तुझसे मुलाकात कर लू
तू बैठे रहना सामने में चाय को बाजू में रख
तुझपे लिखता रहूंगा
तेरी खूबसूरती से होगी शुरू कविताएं मेरी तेरी सीरत पे जाके खत्म होगी,
देखना आंखे ही भर देरी पन्ने सारे
काजल तो यूं ही देखती रहेगी ,
तेरे झुमके पे एक कविता लिखूंगा उस दिन में
लिख कर वहीं छोड़ आऊंगा उसे में,
मैने भी ले रखे है झुमके किसी अरसे से
जो अब पुराने हो गए, गुलाब भी सारे सुख बैठे,
मुलाकात, बाते, चाय ओर वक्त बस यही होगा उस वक्त
हमारी दोस्ती और गहरी होगी मेरी कलम ओर
घिस जायेगी,
तू ना सलवार पे एक चूड़ीदार ओढ के आना
काली बिंदी और वो छोटे वाले झुमके लगा लेना
हो सके तो एक हाथ में कांच की वो दो चूड़ियां
ओर दूसरे हाथ में एक घडी पहन लेना
सफेद रंग मत पहनना उस वक्त क्या पता की
चाय की कुछ बूंदे दोस्ती में उसपे गिर जाएंगे
में तो सीधा सादा ही मिलूंगा तुझे
ना ही कोई सजना संवरना ना ही कोई
ओर चीजे बस में ही आऊंगा सिर्फ में हि मिलूंगा तुझे,
मां की बाते ओर भाभी का प्यार भी ले आऊंगा
घर की कुछ खुशियां और खुद की कुछ परेशानियां बाटूंगा तुजसे
माना की पल भर की होगी वो मुलाकात हमारी
लेकिन अरसे तक पढ़ सकू इतना लिख जाऊंगा मुलाकात पे
तू भी ले आना कुछ पन्ने साथ अपने
तुझे नापसंद शब्द निकाल के
कविताएं लिख दूंगा उसपे,
माना कि तू व्यस्त होगी बहुत
लेकिन
कभी ना का ही तो फुरसत होगी जरूर।

