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Manish Solanki

Abstract Inspirational

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Manish Solanki

Abstract Inspirational

एक नई शुरुआत.....

एक नई शुरुआत.....

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एक हलचल थी मन में बहुत दिनों से की

नई जगह है , नए लोग होंगे, 

ना जाने कैसे समय पर पहुंचेंगे कैसे, सबसे पेश आयेंगे, 

लेकिन सब कुछ ठीक हो गया,


पहले ही दिन एक नया चेहरा सामने आया,

जिसने कहा दोस्त don't worry I'm here to help you.

फिर एक छोटी सी मुस्कान के साथ उसने बात की।

उस वक्त थोड़ा ही सही अपनापन महसूस हुआ, 

लगता है अब सही में जिंदगी शुरू हुई है ,


वो अनजाना सा चेहरा जाना सा हो गया,

जो भी थे सवाल मन में उसका जवाब मिल गया,


एक नई जगह नया एनवायरनमेंट हम ने 2 दिन में ही खुद को उसमें ढाल दिया,

नई शुरुआत हुई और नई मुलाकात हुई, नए लोगों से नई पहचान हुई,


कभी भी नहीं किया था जिस जगह पे सफर हमने, 

वो जगह अब पैरो के तले रोजानी हो गई,


सुभा की मेरे शहर से जाने वाली वो एक्सप्रेस गाड़ी

के बारे में बहुत सुना था, कहते थे हजारों सपने ले के निकलती है ये रेलगाड़ी, 

लाखों ख्वाहिशें और लाखों दर्द को ले के निकला करती है रोज ये रेलगाड़ी, 


उसमें एक सपना हमारा भी जुड़ गया,

हजारों की भीड़ में एक छोटी सी जगह हमने भी पा ली।

बहुत कुछ सीखा दिया इस नए शहर ने,

बहुत कुछ नया दे दिया इस नए शहर ने, 


जहां कभी 10 बजे सुभा होती थी हमारी,

आज उस से पहले ऑफिस पहुंच जाया करते है ,

एक जगह साथ न टिकने वाले हम सब दोस्त

आज 9 घंटे तक एक ही जगह बैठे रहते है ,


 सुबह हो जाती है अब 4 बजे और शाम का तो पता नहीं अब

जब घर आते ही तब रात ढल जाया करती है ,

 जो मिलते थे हर रोज हमें वो लोग अब इतवार को ही मिला करते है,

घर पे रहते है तो मम्मी के हाथों की सुकून वाली चाय पिया करते है ,


वक्त और पैसों की अहमियत अब समझ आ गई है

हमारी कहानी अब एक नई किताब में लिखी जा रही है ।

शुरुआत के पन्ने तो बहुत बखूबी भरे है हमने 

आगे के पन्ने को भरने की अब समझ जाग उठी है ।


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