बन गए जो सवारी मेरे तुम...
बन गए जो सवारी मेरे तुम...
बन गए जो सवारी मेरे तुम,
अब बताओ जाना कहा है..
मंज़िल भी यहां अनजाना सा है,
राहों को तुमने पहचाना कहा है...
वो सड़क क्या तुम्हे दिख रही,
हर कोई वहीं से जाता हैं...
पाकर अपनी मंजिलों को,
फ़िर राहों में खो जाता हैं...
जाना नही है तो इतना बता दो,
जनाब आपका ठिकाना कहा है...
बन गए हो जो सवारी मेरे तुम,
अब बताओ जाना कहा है...
मंज़िल भी यहां अनजाना सा है,
राहों को तुमने पहचाना कहा है...
बन गए हो जो सवारी तुम मेरे,
अब बताओ जाना कहा है।