STORYMIRROR

sargam Bhatt

Drama Action

3  

sargam Bhatt

Drama Action

बिछड़ने का दर्द

बिछड़ने का दर्द

1 min
209

सामने खड़े थे मेरे अपने,

पर मैं उन्हें अपना ना सकी,

मैं भी तड़प रही थी अपनों के बगैर,

पर यह बात उन्हें बता ना सकी।

मेरे अपने यूं मुझसे दूर चले गए,

मैं जाता देखती रही रोक ना पाई,

जानें के बाद में कितनी अकेली हो गई,

अब तो बची है सिर्फ मैं और मेरी तन्हाई।

ओ जाने वाले तुम्हें दिल का हाल क्या बताऊं,

बिछड़ भी गई और तुमको भुला ना पाई।

लोग इकट्ठे हो गए मेरी मनोदशा समझ गए,

मैं कमबख्त उनको सफाई भी ना दे पाई।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama