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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

भूख से बेज़ार

भूख से बेज़ार

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मानवता हो रही है शर्मसार,

वह है भूख से बेज़ार।

ढूंढ रहा है पेट की भूख मिटाने को

कूड़े में फेंके हुए दावत करने के बाद

भोजन के भरे हुए थाल।

शर्म नहीं आती

जब फेंकते हो खाने को बेकार ?

माना पैसे तुम्हारे हैं और

तुम कितना भी भोजन खरीदने में हो सबल।


लेकिन कभी सोचा है की भोजन की तुम्हारी थाली तक

में लगा है कितने लोगों का बल ?

पैसे तो तुम ले आओगे,

परंतु संसाधन कैसे जुटाओगे ?

क्या एक दिन पैसों का ही पेड़ लगाओगे ?


छोड़ते हो झूठन और फेंकते हो भोजन से भरे हुए यह थाल।

तुम्हें आसपास में नहीं दिखते कुछ चेहरे भूख से बेहाल?

कंक्रीट के जंगल उगाने वालों यदि किसानों ने खेती ही छोड़ दी,

तो अपने पैसे लेकर तुम कहां पर जाओगे ?


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